यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है: आपने आजकल हमारे देश में यूनिफार्म सिविल कोड का नाम बहुत बार सुना होगा। इस लेख में हम Uniform Civil Code के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे। यहाँ पर हम आपको बताएँगे की यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है? इसके क्या फायदे और क्या नुकसान, हमारे देश में अभी कहाँ पर ये लागू है। भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड एक व्यापक रूप से बहस का विषय है। क्योंकि 2019 में पहली याचिका राष्ट्रीय एकीकरण और लैंगिक न्याय, समानता और महिलाओं की गरिमा को बढ़ावा देने के लिए एक यूसीसी तैयार करने की मांग के लिए दायर की गई थी।
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?
Uniform Civil Code यानी समान नागरिक संहिता भारत में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून लागू होते है ,फिर चाहे वह किसी भी जाति,धर्म, समुदाय से संबंधित हो। यूनिफॉर्म सिविल कोड सभी धार्मिक समुदायों पर लागू होने के लिए एक देश एक नियम के साथ प्रतिध्वनित होती है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 के भाग 4 में ‘समान नागरिक संहिता’ शब्द का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है। अनुच्छेद 44 कहता है, “भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा।”
अनुच्छेद 44 क्या है?
अनुच्छेद 44 राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों से मेल खाता है जिसमें कहा गया है कि राज्य अपने नागरिकों के लिए भारत के पूरे क्षेत्र में एक समान नागरिक संहिता (यूसीसी) प्रदान करने का प्रयास करेगा।
क्या समान नागरिक संहिता की आवश्यकता है?
दुनिया के लगभग सभी देशों में अपने सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता है। समान नागरिक संहिता के निर्माण के पीछे मूल विचार धर्मों के आधार पर भेदभाव को समाप्त करना है। लगभग सभी धर्मों के पर्सनल लॉ ने महिलाओं के उत्पीड़न के एक उपकरण के रूप में काम किया है जिसके माध्यम से धार्मिक और सामाजिक दायित्वों का हवाला देते हुए उन्हें अक्सर दबाया जाता है। व्यक्तिगत कानूनों ने हमेशा लैंगिक भेदभाव को बढ़ाने में एक बड़ी भूमिका निभाई है। संविधान द्वारा गारंटीकृत समान नागरिक संहिता भी एक बहुत ही संवेदनशील और विवादास्पद मुद्दा बन गया है जिसे हमेशा निहित स्वार्थ वाले लोगों द्वारा सांप्रदायिक बना दिया गया है।
देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड कहाँ पर लागू है
हमारे देश में अभी सिर्फ गोवा में यूनिफार्म सिविल कोड लागू है। गोवा नागरिक संहिता, जिसे गोवा परिवार कानून के रूप में भी जाना जाता है, को 1870 में पुर्तगालियों द्वारा पेश किया गया था जो राज्य पर शासन कर रहे थे। 1961 में गोवा की मुक्ति के बाद, नागरिक संहिता को बरकरार रखा गया था। समय समय पर भारत में Uniform Civil Code पर चर्चा की जाती रही है पर अभी तक इसे मूर्त रूप नहीं दिया गया है। अभी हाल ही में उत्तराखंड के सीएम धामी जी के द्वारा यूनिफार्म सिविल कोड को लेकर कैबिनेट मीटिंग में एक बड़ा फैसला लिया गया है। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के द्वारा विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश की जनता से वादा किया गया था की सरकार आने के बाद वह राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करेंगे। इसके लिए एक कमिटी का गठन किया गया है जो इस बिल का ड्राफ्ट तैयार करेगी।
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यूनिफॉर्म सिविल कोड के फायदे
देश में Uniform Civil Code लागू होने से सबसे बड़ा फायदा यह होगा की सभी धर्म के लोगो को एक समान अधिकार दिए जायेंगे। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने महिलाओं की स्थिति में सुधार होगा। कुछ समुदाय के पर्सनल लॉ में महिलाओं के अधिकार सिमित है। ऐसे में यदि यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होता है तो महिलाओं को भी समान अधिकार लेने का लाभ मिलेगा। इसके आलावा ये भी फायदे है :
- कानून के ओवर लैपिंग प्रावधान से बचा जा सकेगा।
- सभी लोगों को समान दर्जा मिलेगा और कोई भेदभाव नहीं होगा।
- राष्ट्र एक साथ बोलेगा।
- देश नई ताकत के साथ उभरेगा।
- भारतीय विधि व्यवस्था को सरल बनाना।
- न्यायपालिका पर बोझ कम होगा।
- शीघ्र न्याय मिलेगा।
नागरिक संहिता का क्या अर्थ है?
एक नागरिक संहिता निजी कानून के मुख्य क्षेत्रों जैसे व्यापार और लापरवाही के मुकदमों और प्रथाओं से निपटने के लिए डिज़ाइन किए गए कानूनों का एक व्यवस्थित संग्रह है।
अनुच्छेद 44 क्या है?
अनुच्छेद 44 कहता है, ‘राज्य भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा।’ यह लेख राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों का एक हिस्सा है।
हिंदू कोड बिल कब पारित हुआ था?
हिंदू कोड बिल 1950 के दशक में पारित कानूनों का एक समूह है।