NATO नाटो सेना क्या है जाने पूरी जानकारी

नाटो: दोस्तों जैसा कि आप लोग जानते हैं कि रसिया ने यूक्रेन के पर हमला कर दिया है रूस और यूक्रेन के बीच में भीषण युद्ध चल रहा है ऐसे में यूक्रेन बार-बार विश्व के बड़े-बड़े देशों से मदद की गुहार लगा रहा है और इसी क्रम में उसने नाटो देश के सेना से भी मदद मांगी है ताकि रूप से लड़ने में उसको मदद मिल सके नाटो एक 30 देशों का संगठन है जिसके पास अपनी खुद की एक सेना भी है। ऐसे में यूक्रेन नाटो देशों से सामरिक रूप से मदद मांग रहा है अब आप लोगों के मन में सवाल जरूर आएगा कि आखिर में नाटो सेना है क्या और इसकी स्थापना कब हुई थी और उसके कार्य क्या है और इससे मदद की मांग रहा अगर आप इन सभी सवालों के जवाब देना चाहते हैं तो मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि इस पोस्ट को आखिर तक पड़ेगा-

नाटो सेना क्या है

नाटो एक प्रकार का अमेरिका और यूरोपीय देशों से जुड़ा हुआ एक सेना संगठन है इसका पूरा नाम उत्तर अटालांटिक संधि संगठन (North Atlantic Treaty Orgnization ) इसका प्रमुख काम है कि अपने सदस्य देशों मे अगर किसी प्रकार का कोई देश हमला करता है तो उसकी रक्षा करना और सैन्य सहायता भी प्रदान करना I

नाटो सेना की स्थापना कब हुई थी

 नाटो सेना की स्थापना 1949 में किया गया था और इसकी स्थापना के पीछे का मकसद था कि रूस के प्रभाव को विश्व में कम करना ताकि अमेरिका एक विश्व शक्ति के तौर पर अपने आप को विश्व के पटल पर स्थापित कर सके इसलिए अमेरिका ने यूरोप के कई देशों को मिलाकर इस संगठन की स्थापना की थी जब इसकी स्थापना की गई थी तो उस समय इसके 12 सदस्य देश थे  अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड्स, नॉर्वे और पुर्तगाल

नाटो में कौन कौन से देश शामिल है? नाटो सेना में कुल मिलाकर कितने सदस्य देश हैं

आज की तारीख में नाटो सेना का निर्माण कुल मिलाकर जी 30 देशों को मिलाकर हुआ है और और 2020 में नॉर्थ मैसेडोनिया

 में इसमें शामिल होने वाले सबसे नया सदस्य देश है नाटो सेना के सदस्य देशों का नाम निम्नलिखित प्रकार का है जिनका विवरण में आपको नीचे दे रहा हूं

बेल्जियनयूकेइस्टोनिया
कैनेडायूएसलातविया
डेनमार्कग्रीसइथुआनिया
फ्रांसतुर्कीरोमानिया
आइसलैंडजर्मनीस्लोवाकिया
इटलीस्पेनस्लोवेनिया
लक्समबॉर्गचेक गणतंत्रअल्बानिया
नीदरलैंडहंगरीक्रोएशिया
नॉर्वेपॉलैंडमोंटेनेग्रो
पुर्तगालबलगैरियाउत्तरी मैसेडोनिया

नाटो संगठन का स्थापना का मुख्य उद्देश्य क्या है

नाटो सेना की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य यूरोप के देशों में रूस के बढ़ते हुए वर्चस्व को समाप्त करना था इसकी शुरुआत 1945 में जब द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति हुई और अमेरिका और रूस के रिश्ते में खटास आया तो अमेरिका को इस बात का डर लगा कि अगर उसके बढ़ते हुए प्रभाव को अगर रोका ना गया तो रूस अपने आप को विश्व के पटल पर एक सुपर पावर के तौर पर स्थापित कर लेगा और अमेरिका की विश्व में जो हैसियत है उसे गहरा झटका लग सकता है इसी को ध्यान में रखते हुए अमेरिका ने 1949 में यूरोप के कई देशों के साथ मिलकर इस बात पर चर्चा की अगर उसको रोकना है तो हमें मिलकर एक ऐसा संगठन बनाना होगा जिससे रूस के बढ़ते प्रभाव को रोका जा सके और हम अपने देश के आंतरिक और सामरिक सुरक्षा को और भी मजबूत कर सके इसी क्रम में नाटो सेना की स्थापना की गई I कुल मिलाकर यह बात है कि नाटो सेना की स्थापना का मूल उद्देश्य रूप के रूस के बढ़ते प्रभाव को रोकने और यूरोपीय देशों में रूस के प्रभाव को कम करना I

नाटो संगठन का सदस्य बनने की शर्तें और नियम में क्या है-

  • अगर कोई भी देश नाटो का सदस्य बनना चाहता है तो उसके लिए पहली शर्त उसका यूरोपीय देश होना आवश्यक
  •  नाटो ने अपने नियमों में कुछ बदलाव भी किए हैं
  •  नाटो का मकसद है कि पूरी दुनिया में अपने संगठन का विस्तार करना इसी के लिए उसने कुछ ऐसे देशों को भी अपने संगठन में शामिल किया है
  •  

नाटो संगठन का सदस्य देश बनने से फायदा क्या है-

अगर कोई भी देश नाटो संगठन का सदस्य बन जाता है तो उसको अनेकों प्रकार के लाभ प्राप्त होंगे जिनका विवरण में आपको नीचे बिंदु अनुसार दूंगा जो इस प्रकार है-

  • युद्ध की स्थिति में सदस्य देश की सैन्य सहायता प्रदान करना
  • अगर कोई भी देश नाटो सदस्य देश के ऊपर हमला करता है तो नाटो देश के सभी सदस्य उस देश के ऊपर हमला करेंगे जिसने nato सदस्य देश के ऊपर हमला किया है
  • नाटो सदस्य अपने नाटो सदस्य देशों को अनेकों प्रकार के आधुनिक उपकरण और हथियार भी उपलब्ध करवाते हैं
  • नाटो संगठन सदस्य देशों की सुरक्षा की गारंटी लेता है और उनकी सुरक्षा भी करता है
  • नाटो संगठन अपने सदस्य देशों को आर्थिक रूप से पैसे और हथियार भी उपलब्ध करवाएगा अगर युद्ध की स्थिति बनती है तो
  • नाटो संगठन द्वारा एक अलग से सेना का निर्माण भी किया गया जिससे हम लोग नाटो सेना कहते हैं जिसका प्रमुख काम युद्ध की स्थिति में उस देश के सेना के साथ मिलकर दुश्मन देश के सेना का मुकाबला करना है I

नाटो संगठन की संरचना क्या है-

नाटो संगठन की संरचना निम्नलिखित प्रकार के चीजों को मिलाकर की गई है जिनका विवरण में आपको नीचे बिंदु अनुसार दूंगा जो इस प्रकार है-

  1. परिषद : यह नाटों का सर्वोच्च अंग है। इसका निर्माण राज्य के मंत्रियों से होता है। इसकी मंत्रिस्तरीय बैठक वर्ष में एक बार होती है। यहां पर नाटो देशों के संबंधित मसले पर विचार विमर्श किया जाता है।
  2. उप परिषद् : यह परिषद् नाटों के सदस्य देशों द्वारा नियुक्त कूटनीतिक प्रतिनिधियों की परिषद् है। ये नाटो के संगठन से सम्बद्ध सामान्य हितों का ध्यान रखा जाता है।
  3. प्रतिरक्षा समिति : इसमें नाटों के सदस्य देशों के प्रतिरक्षा मंत्री शामिल होते हैं। इसका मुख्य कार्य प्रतिरक्षा, रणनीति तथा नाटों और गैर नाटों देशों में सैन्य संबंधी मसले पर विचार विमर्श और उनका समाधान निकाला जाता है।
  4. सैनिक समिति : इसका मुख्य कार्य नाटों परिषद् एवं उसकी प्रतिरक्षा समिति को सलाह देना है। इसमें सदस्य देशों के सेनाध्यक्ष शामिल होते है।

नाटो सेना के प्रमुख कार्य क्या है

नाटो संगठन में नाटो संगठन सेना का निर्माण किया है जिसका मुख्य कार्य अपने सदस्य देशों की सुरक्षा करना है जैसा कि आप लोग जानते हैं कि अफगानिस्तान में जब तालिबान का बहुत ज्यादा प्रकोप बढ़ गया था तब अमेरिका ने नाटो सेना को अफगानिस्तान भेजा था ताकि नाटो सेना अफगानिस्तान सैनिकों के साथ मिलकर तालिबान आतंकवादियों का सामना कर सके और उनका खात्मा कर सकें और जिसके बाद तालिबान में अफगानिस्तान सरकार की स्थापना हुई थी इसलिए हम कह सकते हैं कि नाटो सेना का प्रमुख काम अपने सदस्य देशों की हितों की रक्षा करना है और इसके अलावा अगर कोई कमजोर देश जिसकी सेना उतनी मजबूत नहीं है और उसे मदद की जरूरत है तो नाटो सेना वहां पर उसकी मदद के लिए जाती है इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि नाटो सेना एक प्रकार का स्वतंत्र सेना होता है जिसका प्रमुख काम है अपने सदस्य देशों की रक्षा करना और दूसरे ऐसे देश जिनके पास सेना नहीं है या कमजोर है।

भारत नाटो का सदस्य क्यों नहीं है?

भारत शुरू से ही किसी भी महाशक्ति के गुट का सदस्य नहीं बनना चाहता था। स्वतंत्र नीति बनाए रखने के कारण भारत सीटो, नाटो जैसी सैनिक संधियों में शामिल नहीं

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