आज एक ऐसे छोटे पैमाने के व्यवसाय के बारे में चर्चा करेंगे जिसके माध्यम से आप न केवल इंडिपेंडेंट हो जाएंगे बल्कि आप कई गरीब महिलाओं को अंशकालिक नौकरी भी दे सकेंगे। सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें निवेश बहुत कम है और मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है।
आप यह तो जानते हैं कि भारत में सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया है। पॉलीथिन बैग के विकल्प के तौर पर तरह-तरह के बैग बनाए जा रहे हैं लेकिन मार्किट में टिक नहीं पा रहे है। और पेपर बैग बनाने की मशीन लगभग ₹500000 की आती है। इस मशीन से बनने वाले पेपर बैग भी महंगे होते हैं, इसलिए ये बाजार में पसंद नहीं किए जाते हैं। हम सिंगल यूज पेपर बैग बनाने के प्रोजेक्ट पर काम करेंगे।
आप पुराने लोगो से पूछेंगे तो वो बताएँगे की पहले पॉलिथीन बैग नहीं थे तो क्या यूज़ होता था। पहले अख़बार के कागज से बने लिफाफे चलते थे जो घरो में बनाये जाते थे और उनमे 2 किलो राशन आसानी से आ जाता था। अख़बार के पेपर और घर पर बनते थे इसलिए उनकी लागत बहुत कम थी। यह एक तरह का पार्ट टाइम घरेलू उद्योग था जो पॉलीथिन की थैलियों के आने के कारण बंद हो गया।
आपको बस इतना करना है कि हाथ से पेपर बैग बनाना सीखना है जिसे इंटरनेट पर मुफ्त में सीखा जा सकता है। फिर आपको यह तरीका अपने आसपास रहने वाली कुछ गरीब महिलाओं को सिखाना है। उन्हें कच्चा माल उपलब्ध कराना है और वे खाली समय में हाथ से बने सिंगल यूज पेपर बैग बनाएंगे। इस पेपर बैग को इकट्ठा करने के बाद आपको इसे अपने क्षेत्र के दुकानदारों को बेचना होगा।
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क्योंकि यह सबसे सस्ते होंगे इसलिए इनकी डिमांड खत्म नहीं होगी बल्कि बढ़ती चली जाएगी। इसके लिए कच्चा माल भी बहुत सस्ता मिलता है क्योंकि बड़ी मशीनों से जो बचा हुआ कागज निकलता है वह रद्दी के भाव में मिल जाता है। आपको सिर्फ सारी चीजें मैनेज करनी है। जैसे-जैसे डिमांड बढ़ती जाएगी आप अपना प्रोडक्शन बढ़ा सकते हैं। ना तो मशीन की जरूरत है और ना ही किसी कारखाने की।
क्योंकि यह सबसे सस्ता होगा, इसलिए इनकी मांग खत्म नहीं होगी, बल्कि बढ़ती रहेगी। इसके लिए कच्चा माल भी काफी सस्ता होता है क्योंकि बड़ी मशीनों से निकलने वाला बचा हुआ कागज कबाड़ की दर से मिलता है। आपको बस सब कुछ मैनेज करना है। मांग बढ़ने पर आप अपना उत्पादन बढ़ा सकते हैं। न तो मशीन की जरूरत है और न ही किसी कारखाने की।
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